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मैं एक गौरवशाली हिंदू हूं, यही मेरा धर्म है...ब्रिटेन के भावी पीएम ऋषि सुनक की सोशल मीडिया पर वाहवाही « The News Express

मैं एक गौरवशाली हिंदू हूं, यही मेरा धर्म है…ब्रिटेन के भावी पीएम ऋषि सुनक की सोशल मीडिया पर वाहवाही

ब्रि‍टेन में प्रधानमंत्री पद की रेस (British PM Race) और तेज हो गई है। इस रेस में भारतीय मूल के ऋषि सुनक (Rishi Sunak) सबसे आगे चल रहे हैं। अगर ऋषि पीएम के पद पर पहुंचते हैं तो ये अपने आप में एक इतिहास होगा। फिलहाल जानकारों की मानें तो प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भले ही ऋषि को नापसंद करते हो लेकिन वो देश के अगले पीएम हो सकते हैं।

भारत की नजरें इन दिनों ब्रिटेन में प्रधानमंत्री पद के लिए जारी प्रक्रिया पर लगी हैं। जितनी उत्‍सुकता वहां के लोगों को अपने होने वाले पीएम को लेकर है, उससे ज्‍यादा शायद भारतीयों को है। ऋषि सुनक ब्रिटेन के अगले प्राइम मिनिस्‍टर हो सकते हैं। ये खबर हर भारतीय के लिए किसी गुड न्‍यूज की तरह है। हो भी क्‍यों न आखिरकार जिन गोरों ने कभी देश को गुलाम बनाकर रखा, आज उसी देश से जुड़ा एक शख्‍स उस 10 डाउनिंग स्‍ट्रीट तक पहुंचने की तरफ है, जो दुनिया की राजनीति का एक अहम केंद्र है। इस घटनाक्रम के बीच हर कोई सुनक के बारे में जानने को बेताब है। सुनक का एक बयान इस समय सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। 5 फीट 6 इंच वाले सुनक का ये बयान उनके धर्म से जुड़ा है और इसमें उन्‍होंने खुद को एक गौरवशाली हिंदू करार दिया है।

साल 2020 में ऋषि सुनक को वित्‍त मंत्री की शपथ दिलाई गई। इस दौरान उन्‍होंने भगवद गीता पर हाथ रखकर शपथ ली और वो हर भारतीय के फेवरिट बन गए। इस पर एक ब्रिटिश अखबार ने जब उनसे पूछा तो उन्‍होंने अपने ही अंदाज में इसका जवाब दिया। ऋषि ने कहा, ‘मैं अब ब्रिटेन का नागरिक हूं लेकिन मेरा धर्म हिंदू है। भारत मेरी धार्मिक और सांस्‍कृतिक विरासत है। मैं गर्व से कह सकता हूं कि मैं एक हिंदू हूं और हिंदू होना ही मेरी पहचान है।’ अपनी डेस्‍क पर भगवान गणेश की प्रतिमा रखने वाले सुनक धार्मिक आधार पर बीफ त्‍यागने की अपील भी कर चुके हैं। वो खुद भी बीफ का सेवन नहीं करते हैं।

सुनक को साल 2020 से ही देश का अगला प्रधानमंत्री बताया जाने लगा था। सुनक ने ब्रिटेन के विंचेस्‍टर कॉलेज से स्‍कूल की पढ़ाई की। ये देश के सबसे प्रतिष्ठित स्‍कूलों में शामिल है। इसके बाद वो ऑक्‍सफोर्ड और अमेरिका की स्‍टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी पहुंचे और यहां से आगे की पढ़ाई पूरी की। राजनी‍ति में आने से पहले उन्‍होंने गोल्‍डमैन शैक्‍स और कुछ और कंपनियों में काम किया था।

ऋषि सुनक पंजाबी खत्री परिवार से आते हैं। ऋषि के दादा रामदास सुनक गुंजरावाला में रहते थे जो बंटवारे के बाद पाकिस्‍तान में चला गया था। रामदास ने सन् 1935 में गुंजरावाला छोड़ा और वो क्‍लर्क की नौकरी करने के लिए नैरोबी आ गए। ऋषि की बायोग्राफी लिखने वाले माइकल एशक्रॉफ्ट ने बताया है कि रामदास सुनक हिंदू-मुसलमान के बीच खराब होते रिश्‍तों की वजह से नैरोबी गए थे। रामदास की पत्‍नी सुहाग रानी सुनक, गुंजरावाला से दिल्‍ली आ गई थीं और उनके साथ उनकी सास भी थी। इसके बाद वो सन् 1937 में केन्‍या चली गईं।

परिवार से जुड़े सूत्रों की मानें तो रामदास एक अकाउंटेंट थे जो बाद में केन्‍या में एडमिनिस्‍ट्रेटिव ऑफिसर बने। रामदास और सुहाग रानी के छह बच्‍चे थे जिसमें तीन बेटे और तीन बेटियां थीं। ऋषि के पिता यशवीर सुनक इनमें से ही एक थे जिनका जन्‍म नैरोबी में सन् 1949 में हुआ था। साल 1966 में यशवीर लिवरपूल आ गए और यहां पर लिवरपूल यूनिवर्सिटी से मेडिसिन की पढ़ाई की। फिलहाल वो साउथ हैंपटन में रहते हैं। रामदास सुनक की तीनों बेटियों ने भारत में ही पढ़ाई की।

ऋषि के नाना रघुबीर बेरी पंजाब के रहने वाले थे। फिर वो एक रेलवे इंजीनियर के तौर पर तंजानिया चले गए। यहां पर उन्‍होंने तंजानिया में जन्‍मीं सरक्षा सुनक से शादी की। बायोग्राफ के मुताबिक सरक्षा साल 1966 में वन वे टिकट पर यूके गई थीं जो उन्‍होंने अपने शादी के गहने बेचकर खरीदा था। बेरी भी यूके आ गए और यहां पर कई साल तक इनलैंड रेवेन्‍यू के साथ उन्‍होंने काम किया। इसके बाद वो साल 1988 में ब्रिटिश राजशाही के तहत मेंबर ऑफ ऑर्डर बने। इस दंपति के तीन बच्‍चे थे जिनमें से एक ऋषि की मां ऊषा भी थीं। उन्‍होंने सन्1972 में एश्‍टन यूनिवर्सिटी से फार्मालॉजी में डिग्री ली थी। माता-पिता की पहली मुलाकात लिसेस्‍टर में हुई थी और साल 1977 में उन्‍होंने शादी कर ली।

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