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]]>संवाददाता बृजेश कुमार↑
सरना ने डीएसजीएमसी के खातों की जांच के लिए न्यायिक जांच की मांग की
नई दिल्ली शिरोमणि अकाली दल दिल्ली (शिअदद) ने सिरसा-कालका जोड़ी पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) द्वारा अदालत में कमेटी के पूर्व प्रबंधकों द्वारा कर्मचारियों के वेतन में 135 करोड़ बकाया का झूठी गवाही देने का गंभीर आरोप लगाया है।
शिअदद का कहना है कि दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के मौजूदा अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका के वकील ने माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय में बिना किसी सबूत पेश किए एक अस्पष्ट चार्ट पेश किया, जिसमें दावा किया गया कि कमेटी के पूर्व अध्यक्ष सरना बंधुओं द्वारा कमेटी के कर्मचारियों का 81 करोड़ और पूर्व अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके के कार्यकाल में 54 करोड़ बकाया था।
शिअदद के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने इस बारे में कहा कि 2013 में गठित नई कमेटी ने कर्मचारियों के लिए छठे वेतन आयोग को अपनाने के लिए प्रतिबद्ध किया था, लेकिन मनजिंदर सिंह सिरसा द्वारा विभिन्न आधार व माध्यमों से लगातार इस कदम को खारिज कर दिया गया।
सरना ने कहा कि सिरसा ने छठे वेतन आयोग की प्रक्रिया को कभी भी सफल नहीं होने दिया। बल्कि, सिरसा-कालका का यही प्रयास था कि यह प्रक्रिया हमेशा अंधेरे में ही रहे।सरना ने सिरसा-कालका जोड़ी को न्यायालय में झूठी गवाही देने पर बुरी तरह लताड़ा।सरना ने कहा कि “मौजूदा कमेटी ने हम पर और मंजीत सिंह जीके पर कमेटी के कर्मचारियों के बकाया वेतन का भुगतान न करने का आरोप लगाने की असफल कोशिश की है।
इससे पहले उन्होंने अदालत में गुरु हरकृष्ण पब्लिक स्कूलों के स्वामित्व को त्याग दिया था । लेकिन हम किसी भी कीमत में इनको इस सफेद झूठों के साथ इन्हें इनकी ज़िम्मेदारियों से भागने नहीं देंगे!”सरना ने मांग की है कि कालका-सिरसा दोनों को उच्च न्यायालय में झूठी गवाही देने के आरोप में गिरफ्तार किया जाना चाहिए और इन दोनों पर धोखाधड़ी व जालसाजी का मुकदमा चलाया जाना चाहिए।सरना ने मांग की कि दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के वित्तीय स्थिति पर तुरंत एक न्यायिक आयोग गठित कर जांच होनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने मांग की है कि आयोग सन 2002 से कमेटी के वित्तीय स्थिति की जांच निष्पक्षता से करे। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि कमेटी की पुस्तकों का ऑडिट हो और समिति के वित्तीय स्वास्थ्य के पतन के लिए जवाबदेही तय करने वाला एक श्वेत पत्र जारी किया जाना चाहिए।गुरमीत सिंघ शंटी, करतार सिंघ चावला, जसमीत सिंघ प्रीतम पुरा, मंजीत सिंघ सरना, भूपिंदर सिंघ पी आर ओ
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]]>सिख विचारधारा का पुरजोर समर्थन करने के लिए ‘दबाव समूह’ बनाने की जरूरत: जीके
नई दिल्ली (21 मार्च 2022) जागो पार्टी के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने आज दिल्ली के सभी पंथक दलों को एकजुट करने के उद्देश्य से शिरोमणि अकाली दल दिल्ली के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना को एक पत्र सौंपा। दिल्ली कमेटी के अपने साथी सदस्यों के साथ गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब स्थित सरना पार्टी कार्यालय में पहुंचे जीके ने मीडिया को बताया कि शिरोमणी अकाली दल का राजनीतिक आधार बादल परिवार की खराब नीतियों तथा पंथ से पहले परिवार को प्राथमिकता देने के कारण सिकुड़ गया है।नतीजतन इस वजह से सरकार के दरबार में सिखों की अहमियत कम होने का खतरा पैदा होने की आंशका पैदा हो गई है। जो कि भविष्य में सिख हितों के लिए हानिकारक हो सकता है। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद पंजाब के हितों के लिए राज्यसभा में बोलने का रास्ता भी बंद हो गया है। क्योंकि आम आदमी पार्टी ने राज्यसभा के लिए गैर-पंजाबी और पंजाब के हितों के लिए उदासीन उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। इसलिए आज पंथक हलकों में पंजाब और सिखों के उज्ज्वल भविष्य के लिए सभी पंथक दलों को एक साथ लाने की जरूरत महसूस की जा रही है। इसलिए पंथ और पंजाब के व्यापक हितों को ध्यान में रखते हुए मैंने जागो पार्टी परिवार के साथ अतीत में रचनात्मक चर्चा की है। जिसमें यह निर्णय लिया गया कि जागो पार्टी को इस मुद्दे पर पंथ की एकता के लिए पहल करनी चाहिए।
जीके ने कहा कि पंथ की भलाई के लिए शिरोमणि अकाली दल के अस्तित्व को मजबूती से बनाए रखना हम सभी की प्राथमिक जिम्मेदारी है। क्योंकि हमारे बुजुर्गों ने शिरोमणी अकाली दल के 100 साल लंबे गौरवशाली अस्तित्व को स्थापित करने के लिए अपना खून भी बहाया है।अकाली दल उस अत्याचारी ब्रिटिश शासन के दौरान पैदा हुआ था, जिसने 1857 के ग़दर और स्वतंत्रता की कई अन्य आवाज़ों को आसानी से दबा दिया था। लेकिन यह गौरी सरकार ही थी जिसने पंथ की भावना, समर्पण और शहादतों के सामने घुटने टेके थे। यहां तक कि महात्मा गांधी को भी कहना पड़ा था कि “सिखों ने आजादी की पहली लड़ाई जीत ली है।” जैसा कि हमारा इतिहास रहा है की सिख मिसलों ने अपने वैचारिक मतभेदों के बावजूद भी श्री अकाल तख्त साहिब के नेतृत्व में कौम के मुद्दों पर एकजुटता दिखाई थी। चूंकि पंजाब के काले दौर के समय देश-विदेश में रहने वाले सिखों ने नरसंहार के साथ ही मानवाधिकारों प्रति भेदभाव को अपने शरीर पर झेला था और पंथ अभी भी इस मामले में न्याय पाने के लिए संघर्ष कर रहा है। इसलिए हमने दिल्ली की सभी पंथक पार्टियों को एक मंच पर लाने का फैसला किया है, ताकि सिख विचारधारा का पुरजोर समर्थन करने वाले ‘दबाव समूह’ का निर्माण करके सिख हितों की सतर्क सुरक्षा संभव हो सके। बड़ी संख्या में पंजाब से बाहर रहने वाले सिखों के हितों की रक्षा के लिए भी इस पंथक एकता की आवश्यकता है। केंद्र और राज्यों में विभिन्न दलों की सरकारों के अस्तित्व के कारण भी सभी पंथक नेताओं को सरकारों पर वैचारिक दबाव बनाने के लिए इस ‘दबाव समूह’ में शामिल रहना आवश्यक है ताकि सभी को साथ लेकर सिख मुद्दों पर आम सहमति बन सके। जीके की पहल का स्वागत करते हुए सरना ने आश्वासन दिया कि हम पंथक हितों को व्यक्तिगत हितों से ऊपर रखकर पंथ की एकता के हिमायती हैं। जीके के साथ दिल्ली कमेटी सदस्य परमजीत सिंह राणा, सतनाम सिंह और महिंदर सिंह भी मौजूद थे।
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]]>The post SADD ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर क्यो कहा कमजोर होते अकाली दल को देख सिख बुद्धिजीवी चिंतित में appeared first on The News Express.
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नई दिल्ली , 21 मार्च : पंजाब विधानसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल की हुई करारी हार के बाद सिख बुद्धिजीवी चिंतित हैं । सभी परेशान हैं कि 100 साल से भी ज्यादा पुरानी पार्टी का जनाधार कैसे घट रहा है । इसे लेकर लुधियाना में प्रसिद्ध सिख धार्मिक विशेषज्ञ , इतिहासकार , बुद्धिजीवी और पंथक नेताओं की बैठक हुई । इस बैठक में सामूहिक प्रयासों से शिरोमणि अकाली दल को फिर उसी ऊचाईयों पर ले जाने का आह्वान किया गया ।
इस बैठक में प्रो . पृथ्वीपाल सिंह कपूर , डॉ . एस . पी . सिंह , प्रो . गुरतेज सिंह , डॉ . गुरदर्शन सिंह ढिल्लों , एसजीपीसी सदस्य बीबी किरणजोत कौर , एस . बीर दविंदर सिंह , डॉ . स्वर्ण सिंह सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे । बैठक के दौरान सिख बुद्धिजीवियों ने 100 साल से अधिक पुराने शिरोमणि अकाली दल के घटते प्रभाव पर गंभीर चिंता व्यक्त की । इस कॉन्क्लेव के संबंध में सोमवार को एक प्रेसवार्ता के दौरान पंथक नेता परमजीत सिंह सरना ने कहा कि लोगों के बीच अकाली दल का जनाधार तेजी से घट रहा है । बादल परिवार ने शिरोमणि अकाली दल को गंभीर संकट में डाल दिया है । 20 फरवरी को हुए पंजाब विधानसभा चुनाव के परिणाम यही बता रहे हैं । यह गंभीर चिंताजनक बात है ।
उन्होंने कहा कि शिअद के घटते प्रभाव के कारण सिखों ने पंजाब , राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी राजनीतिक आवाज खो दी है । डीएसजीएमसी चुनाव में पंजाबी बाग वार्ड से बादल के सहयोगी एम एस सिरसा को हराने वाले हरविंदर सिंह सरना ने कहा कि राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं और हितों के साथ कोई भी राजनीतिक दल सिख और पंथक मुद्दों को ईमानदारी से उठा नहीं सकता , उनका हल नहीं निकलवा सकता । डीएसजीएमसी के पूर्व अध्यक्ष ने कहा पंजाब विधानसभा चुनाव के परिणाम स्पष्ट कहते हैं कि पंजाब या पंजाब के बाहर रह रहे सिखों को मिलकर मूल शिरोमणि अकाली दल को फिर से जीवित करना कहना होगा । हमें मूल शिरोमणि अकाली दल से बादल परिवार को अलग कर फिर से खड़ा करना होगा ।
शिरोमणि अकाली दल पूरी तरह से पंथ के लिए प्रतिबद्ध है न कि सत्ता की राजनीति के लिए । पंथक नेताओं ने कहा कि सिख राजनीतिक आवाज के अभाव में बड़ी ताकतों के शोषण का शिकार हो सकती है । ये बड़ी ताकतें अपने फायदे के लिए कुछ भी कर सकते हैं । एसएडीडी महासचिव ने कहा कि समझौता कर चुके एक परिवार ने पहले ही पंजाब और उसके बाहर पंथक हितों को भारी नुकसान पहुंचाया है । शिअद के घटते प्रभाव के कारण सिख जल्द ही राष्ट्रीय स्तर की राजनीति से दूर हो सकते हैं ।
साम्र विचारकों की ओर से सरना ने गुरु पंथ से अपील की कि वह नए पंथक प्रेरणों के साथ मिलकर पंथक कारणों को आगे बढ़ाने के लिए शिरोमणि अकाली दल को पुनर्जीवित करने की दिशा में तेजी से प्रयास करें । सरना ने सिरसा – कालका की जोड़ी पर हमला करते हुए कहा कि इन्होंने शहर के शीर्ष सिख धार्मिक प्रशासन पर गलत तरीके से कब्जा किया है । हरमीत सिंह कालका , सिरसा और अन्य गैंगस्टर कुख्यात जमीन और संपत्ति हड़पने वाले हैं । इन्हीं हथकंडों को अपनाकर उन्होंने डीएसजीएमसी की सत्ता हासिल की है । इसमें सिरसा के साथ कालका का भी हाथ है । दोनों ने मिलकर यह काम किया है ।
वे गुरु की गुलक को लूटने के लिए गुरु की संगत को धोखा दे रहे हैं ।सरना ने कालका और सिरसा को चुनौती दी कि अगर उनमें थोड़ी सी भी ईमानदारी है तो वह फिर से दिल्ली की संगत के लिए नए सिरे से जनादेश मांगे । ” क्या वे ऐसा कर सकते हैं ? हम उन्हें चुनौती देते हैं कि वे डीएसजीएमसी के लिए नए चुनाव करवाए और अपने चुनाव चिन्हों के साथ चुनाव लड़े , न कि किसी पार्टी के प्रतिनिधि के रूप में । सरना ने संवाददाताओं से कहा कि जो लोग गुलक लूट में शामिल रहे हैं , वे डीएसजीएमसी कार्यालयों में रहकर कुछ भी गलत कर सकते हैं । ” वे जानते हैं कि एक बार उन्हें बाहर निकाल दो उनके सभी राज का पर्दाफाश हो जाएगा और वे अपना शेष जीवन जेल में बिताएंगे । यह उनकी सोच बन गई है कि वे हर बार अपने इरादों में सफल हो जाएंगे । हमें उन्हें जल्द ही सलाखों के पीछे डाल देंगे और हम यह कर के रहेंगे ।
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