जब भी हम किसी बच्चे को रास्ते में भीख मांगता हुये या बेरोजगार युवाओं देखते हैं या फिर झुग्गी-झोपड़ी में बच्चों को इधर-उधर वक़्त बर्बाद करते देखते हैं तो उनके माता-पिता और उनको ज्ञान देने लगते हैं। उन्हें कहते हैं कि अपने बच्चों को स्कूल भेजो, उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखो कुछ अपना काम करो और भी न जाने क्या-क्या।
उन्हें ज्ञान देने से पहले हम बिल्कुल भी नहीं सोचते कि जिन लोगों के लिए अपनी दो वक़्त की रोटी जुटाना किसी पहाड़ को चढ़ने से कम नहीं है, हम उनसे कैसे बाकी सुविधाओं की अपेक्षा कर सकते हैं? जब तक आपका पेट ही भरा हुआ नहीं है तो कैसे आप बाकी ज़रूरतों पर ध्यान देंगे।
सबसे ज्यादा ज़रूरी है कि आर्थिक रूप से व्यथित परिवारों को ढंग के रोज़गार से जोड़ा जाए। उनकी एक स्थायी आय होगी तो उन्हें अपने हर दिन की रोटी की चिंता नहीं होगी और फिर वे अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के बारे में भी सोच पाएंगे।
इस बात को समझते हुए ही श्री मति नीरा सरमा ने NECBDC एक संगठन शुरू किया ताकि वह असम के लोगों को एक स्थायी कमाई का ज़रिया दे पाएं। और बांस यानी बम्बू से ज्वैलरी और घर को सजाने के लिए सामान फर्नीचर आदि बनवाना शुरू किया जिसके उन्होंने कई लोगों को ख़ाश कर महिलाओं को ज्वेलरी बनाने की शिक्षा थी और आय के नए साधन उपलब्ध कराए जिनको हमारे चैनल द न्यूज़ एक्सप्रेस के पैनल पर आपको मिलवा रहे हैं मिनिस्ट्री ऑफ हैल्थ कुवैत से डॉ सुमंत मिश्रा जी जो ऐसे ही प्रतिभाशाली लोगों की प्रतिभा को देश और दुनिया के सामने लाने का कार्य कर रहे हैं डॉ के साथ डॉ मिश्रा एक शोशल वर्कर भी है और देश की प्रतिभा और आत्म निर्भरता को दुनिया के सामने दिखाने का नेक कार्य कर रहे हैं