मास्क टीवी ओ टी टी पर स्ट्रीम हो रही आज़मगढ़ फ़िल्म आपको समस्या ही नहीं समाधान भी बताती है। पंकज त्रिपाठी की आतंक के रास्ते पर चलाने को उकसाने वाले मौलवी की भूमिका ही शुरू से लेकर आख़िर तक प्रमुख दिखाई देती है जो युवा आमिर (अनुज शर्मा) को आतंकी आंकाओं की कठपुतली बनाने पर आमादा है और इसका अंत आते आते आपको यह एकमात्र आतंक की कहानी लगने लगती है पर कुछ ऐसा प्रयास क्लाईमेक्स में दर्शकों के होश उड़ा देगा ,यह देखना कि क्या ऐसा भी हो सकता है।
मास्क टीवी ओ टी टी प्लेटफ़ॉर्म पर स्ट्रीम हो रही यह फ़िल्म आज़मगढ़ सबको लुभा भी रही है। रामजी बाली की कड़क और तीखे तेवरों वाली इंस्पेक्टर की भूमिका हो या अमिता वालिया की आमिर की अम्मी वाली भूमिका सूसन बरार का आदिल लगना , न्यूज़ रीडर्स , प्रेज़ेन्टर्स की भूमिकाएँ हों या आतंकी आंकाओं की छोटी भूमिकाओं में जान फूंकने वाले अभिनेता , राधे की भूमिका को सच्चाई से निभाते विवेक जेतली सब ने कमाल कर दिखाया है।
चैनल प्रोड्यूसर मानसी भट्ट के अनुसार यह फ़िल्म आज़मगढ़ समर्पित है आतंक के विरूद्ध चल रही लड़ाई को जिसने न जाने कितने मासूमों की जान बचाने की मुहिम में अपने प्राणों की आहुति दी।
अपने अगले प्रोजेक्ट से एक और समस्या से मास्क उतारने का प्रयास जारी हैं बताते हुए मानसी कई अंग्रेज़ी और दक्षिण भारतीय फ़िल्मों का स्ट्रीम होना भी ज़िक्र करती हैं जिन्हें यूज़र्स बेहद चाव से मास्क टीवी ओ टी टी पर देखते हैं।
आज़मगढ़ जैसी फ़िल्म जो गंभीर विषय आतंक को मनोरंजन के मास्क के पीछे नहीं छुपाती या एक्शन ,ड्रामा में लपेट कर नहीं जस का तस समाधान के सपने को साकार करती नज़र आती है।