श्री राधे प्रगट भई बरसाने मंगल बजत बधाई है……..
– कुंजबिहारी मंदिर में , धूमधाम से मनाई राधाष्टमी, फूल बंगले में बिराजे युगल सरकार
– चाचर नृत्य के साथ जमकर झूमे श्रद्धालु, गाये बधाई गीत, सभी को परोसा गया स्वादिष्ट भण्डारा प्रसाद
झाँसी। श्री राधे प्रगट भई बरसाने मंगल बजत बधाई है…। बस गये नैनन कुंजबिहारी जबसे देखी श्यामलि सूरत, टरत न छवि दृग टारी, मोर मुकुट मकराकृत कुण्डन, बाम अंग श्री प्यारी, प्रेम भक्ति दीजै मोह स्वामी अपनी ओर निहारी, रुप कुंवरि रानी के साधहु कारज सकल मुरारी। कवि की पंक्तियों में बरसाने की बखान की गई यह सुंदरता आज ग्वालियर रोड सिविल लाइन स्थित कुंजबिहारी मंदिर में साक्षात झलक रही थी। मौका था बृषभान दुलारी अखिल ब्राह्मण्ड नायक भगवान कुंजबिहारी सरकार की प्राण प्रियतमा राज राजेश्वरी श्री राधा सर्वेश्वरी जू के पावन प्राकट्य महोत्सव का, भादौ माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन रविवार को ब्रज की लाडली का प्राकट्य महोत्सव कुंजबिहारी मंदिर में भारी हर्षोल्लास एवं धूमधाम से मनाया गया।
इस मौके पर चम्पा, चमेली, गेंदा, गुलाब के पुष्पों एवं लता-पताओं के बीच मंदिर में भव्य झाकियां सजायी गयी साथ ही विद्युत की मनमोहक छटा के बीच समूचा मंदिर परिसर रोशनी की प्राकृतिक छटा से जगमगा उठा। प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर में विराजमान सभी विग्रह मूर्तियों का मंगल अभिषेक एवं श्रृंगार किया गया। मंदिर के मुख्य द्वार की छठा निहारते ही वहां से गुजरते राहगीर बरबस रुक जाते और उनका मन भगवान के दर्शनों के लिये ढिढक जाता। शाम होते ही श्रद्धालु महिला एवं पुरुषों की मंदिर में अपार भीड़ उमड़ पड़ी और भगवान के दर्शनों की एक झलक पाने को आतुर श्रद्धालु कतार में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते देखे गये। यह सिलसिला देर रात्रि तक जारी रहा। सायंकाल पांच बजते ही मंदिर के कपाट खुले, तदुपरांत राधा रानी एवं भगवान कुंजबिहारी जू की एक सौ आठ बत्तियों से महाराज श्री द्वारा महाआरती की गई, तदुपरांत भण्डारे के साथ ही दर्शनों का सिलसिला प्रारंभ हुआ।
मंदिर प्रांगण में सजाये गये आकर्षक मंच पर बुन्देलखण्ड धर्माचार्य महंत राधामोहन दास के पावन सानिध्य में संगीत संध्या का आयोजन हुआ जिसमें बंडू गोलवलकर, श्रीराम साहू, राघवेन्द्र शास्त्री, लखन साहू, डा. धन्नूलाल गौतम, हरीराम वर्मा, गुरुजीत चावला, विनोद मिश्रा सहित बुन्देलखण्ड के ख्याति प्राप्त कलाकारों ने समाज गायन कर एक से एक बढकर बधाई गीत गाये। सारी दुनिया दीवानी राधारानी आपकी, कौन है जिस घर नहीं मेहरबानी आपकी, राधे तू बड़भागिनी कौन तपस्या कीन्ह, तीन लोक के हैं जो स्वामी वो तेरे आधीन, मन भूलमत जइयो राधारानी के चरन आदि बजते बधाई गीतों पर श्रीधाम वृन्दावन से आये सखी बाबा की टोली ने मनमोहक नृत्य किया तो दूसरी ओर युवाओं की टोलियां ने रंग बिरंगे परिधान पहनकर चाचर नृत्य किया।
श्रद्धालुओं में बुन्देलखण्ड के संतों, विप्रजनों के साथ सभी को विशाल स्वादिष्ट भण्डारे का प्रसाद परोस कर खिलाया गया। महंत राधामोहन दास महाराज ने सभी संतों एवं विप्रजनों को दक्षिणा एवं अंगवस्त्र भेंटकर विदा किया। दर्शन हेतु आये सभी भक्तों को पूड़ी कचौड़ी एवं मेवा मिष्ठान के दोना भर-भर प्रसाद वितरित किया गया। पवनदास, बालकदास एवं मनमोहन दास ने संतजनों को प्रणाम कर आत्मीय स्वागत किया।
दर्शनार्थियों के आवागमन का सिलसिला देर रात्रि तक चलता रहा।श्रद्धालुओं की भीड को नियत्रिंत करने हेतु महिला व पुरूषों की अलग पंक्तियां लगवाई गई। मंदिर के मुख्य द्वार पर निशुल्क पादुका सेवा स्टाल भी लगाया गया। रात्रि शयन आरती उपरांत बुन्देलखण्ड धर्माचार्य महंत राधामोहन दास ने सभी को शुभाशीष देते हुए आभार व्यक्त किया।