ज़िक्र शहादतैन व लंगर-ए-हुसैनी कार्यक्रम सम्पन्न
झाँसी। लिटिल लाईफ पब्लिक स्कूल पुलिया नम्बर नौ मे माह-ए-मोहर्रम के उपलक्ष्य मे रविवार को हजरत सैयदना इमाम हुसैन व शहीद-ए-कर्बला का ज़िक्र हुआ इस दौरान माहौल गमगीन व आंखे अश्कबार के साथ फातिहा नियाज़ हुई। तत्पश्चात लंगर-ए-हुसैनी का एहतमाम किया गया।
ज़िक्र शहादतैन व लंगर-ए-हुसैनी कार्यक्रम मे मौलाना अज़ीज़ निजामी ने मुख्य रूप से हज़रत इमाम हुसैन व उनके खानदान पर रौशनी डालते हुए कहा कि हसैन की शान ये है की कोई नहीं हुसैन सा हुसैन बस हुसैन है। उन्होने कहा कि आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के नवासे हजरत सैयदना इमाम हुसैन ने कर्बला के मैदान में आतंकवाद के खिलाफ सबसे बड़ी जंग लड़ी थी और इंसानियत व दीन-ए-इस्लाम को बचाने के लिए अपने साथियों की कुर्बानी दी। हाफिज अज़हर ने कहा कि शहादत-ए-इमाम हुसैन ने दीन-ए-इस्लाम की अजमत को कयामत तक के लिए बचा लिया। पूरी दुनिया को पैगाम दिया कि अन्याय व जुल्म के सामने सिर झुकाने से बेहतर है सिर कटा दिया जाए।
यह पूरी दुनिया के लिए त्याग व कुर्बानी की बेमिसाल शहादत है। हाफिज रिजवान ने कहा कि अहले बैत (पैगंबर-ए-आजम के घर वाले) से मुहब्बत करने वाला जन्नत में जाएगा। हजरत इमाम हुसैन की शहादत हमें इंसानियत का दर्स देती है। इस दौरान हाफिज मो सलीम , हाफिज अब्दुल कय्यूम , हाफिज अता उल्ला ने माह-ए-मोहर्रम पर विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर मो नहीद, आरिफ खान, शब्बीर अली, चैना भाई, रहीस खान, रफीक, राशिद मंसूरी, मो नूरैन, मो हसनैन, इकराम उल्ला, हफीज खलीफा, मोहतरमा फहमीदा, नाजमीन, साहिबा, इल्मा, फिरदौस, इकरा, फरहीन, आफरीन, हज्जन खैरून निशा, रशीद खान, अलीम मंसूरी, वकील भाई, सलीम , जगनमोहन बढ़ौने मौजूद रहे। संचालन हाजी अब्दुल वहीद ने किया आभार मो नहीद ने व्यक्त किया।