बागेश्वर धाम वाले पंडित धीरेंद्र शास्त्री इन दिनों फिर से चर्चा में है. नागपुर में 9 दिन की बजाय 7 दिन में ही कथा खत्म कर वापस लौटने को लेकर उनकी आलोचना की जा रही है.
अंध श्रद्धा मूलन के संस्थापक श्याम मानव ने उन्हें चमत्कार दिखाने की चुनौती दी थी. हालांकि धीरेंद्र शास्त्री ने रायपुर में कहा कि वो 7 दिन की ही कथा करते हैं. उन्हें हर चुनौती स्वीकार है.
धीरेंद्र शास्त्री ने हाल के कुछेक वर्षों में खूब चर्चा बटोरी है और अपने तीखे बयानों के चलते विवादों में भी रहे हैं.पिछले एक-दो वर्षों में फेमस हुए धीरेंद्र शास्त्री आज भले ही एक आध्यात्मिक गुरु और सेलिब्रेटी की तरह उभरे हों, लेकिन उनका जीवन मुफलिसी के बीच शुरू हुआ है. वो एक गरीब परिवार में पैदा हुए थे, मुफलिसी में पले-बढ़े और फिर ईश्वर की भक्ति और मानव सेवा करते हुए नाम-गाम कमाया.
धीरेंद्र शास्त्री का जन्म 4 जुलाई 1996 को छतरपुर जिले के एक छोटे से गांव गढ़ा पंज में हुआ था. पिता राम करपाल गर्ग बेहद गरीब थे. उनकी आमदनी बेहद कम थी. मां सरोज गर्ग किसी तरह घर चलाया करती थीं. जैसे-तैसे गृहस्थी चला करती थी. रहने के लिए गांव में एक छोटा-सा कच्चा मकान था, जो बारिश के मौसम में टपका करता था. ऐसे में धीरेंद्र बचपन में तमाम सुख-सुविधाओं से वंचित रहे. उनका शुरुआती जीवन गांव में ही बीता.
धीरेंद्र की बचपन से ही इच्छा थी कि वो वृंदावन जाकर कर्मकांड की शिक्षा लें, अध्यात्म की पढ़ाई करें. लेकिन पिता के पास उतने पैसे थे नहीं कि बेटे की पढ़ाई का खर्चा उठा सकें. 8वीं तक की पढ़ाई उन्होंने गांव में ही की.
इसके बाद वो अपने चाचा के पास गंज चले गए. वहां भी वो 12वीं तक की पढ़ाई ही कर पाए. आगे बीए में एडमिशन तो लिया, लेकिन आध्यात्म और मानव सेवा में रुचि के चलते पढ़ाई अधूरी छोड़ दी.
धीरेंद्र शास्त्री की बचपन से ही अध्यात्म में रुचि थी. उनके दादा भगवानदास अध्यात्मिक गुरु रहे हैं, जिन्होंने चित्रकूट के निर्मोही अखाड़े से दीक्षा प्राप्त की थी. धीरेंद्र शास्त्री ने अध्यात्म की शुरूआती शिक्षा अपने दादा भगवान दास गर्ग से ही लेनी शुरू की. दादा भगवान दास गर्ग गांव में रामायण और भागवत पढ़ाया करते थे. भगवान दास चंदेलकालीन बालाजी मंदिर के पीठाधीश्वर भी थे, जिसकी प्रसिद्धि अब बागेश्वर धाम के तौर पर है.
अपने दादा और गुरु भगवानदास से दीक्षा लेकर ही धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने शास्त्रों का अध्ययन किया और कथा वाचन शुरू किया. वो अपने मंच से दावा कर चुके हैं कि नौ साल की उम्र से ही वो बागेश्वर धाम सरकार की सेवा करने लगे थे. बाद में अपने दादाजी की तरह धीरेंद्र शास्त्री ने भी दरबार लगाना शुरू कर दिया.
धीरेंद्र शास्त्री रिकॉर्डेड जन्मतिथि के अनुसार अभी 26 वर्ष के हैं. वो अविवाहित हैं. वो हनुमानजी के भक्त जरूर हैं, लेकिन कथा के दौरान वो कह चुके हैं कि वो शादी करेंगे. उनकी माता का यही आदेश है. कब करेंगे, किससे करेंगे… इस बारे में उन्होंने कुछ बताया नहीं है.