नई दिल्ली।राजधानी के इंडिया हैबिटेट सेंटर में प्लास्टिक उद्योग के विकास के लिए पहला प्रौद्योगिकी सम्मेलन संपन्न हुआ। इस सम्मेलन में वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों, उद्योग के दूरदर्शी, शोधकर्ताओं और उद्यमियों सहित 400 से अधिक उद्योगों से जुड़े लोगों ने भाग लिया। प्रौद्योगिकी सम्मेलन का उद्घाटन अतिथि श्री अरुण बरोका, सचिव, रसायन और पेट्रोकेमिकल विभाग भारत सरकार की उपस्थिति में किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि सुश्री मर्सी एपाओ, संयुक्त सचिव, एमएसएमई मंत्रालय,भारतसरकार सहित एआईपीएमए के अध्यक्ष श्री मयूर डी शाह, श्री अरविंद मेहता, अध्यक्ष, गवर्निंग काउंसिल, एआईपीएमए समेत तमाम उद्योग जगत के गणमान्य लोग उपस्थित थे। केंद्रीय सचिव श्री बरोका ने सरकार की उन नीतियों के बारे में वहां उपस्थित लोगों को बताया जिसे मेक इन इंडिया के तहत प्लास्टिक उद्योग के विकास के लिए एक संबल के रूप में सरकार बनाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार स्टार्ट-अप के लिए सहायक है और उद्योग को समर्थन का आश्वासन दिया है। इस क्षेत्र में काम करने के लिए सरकार नव उद्यमियों सहित अन्य इच्छुक लोगों को भी बढ़ावा देगी। हमारी कोशिश प्लास्टिक उद्योग पर विदेशी निर्भरता कम करने की है।
ज्ञात हो कि एआईपीएमए प्लास्टिक सामानों के आयात प्रतिस्थापन के उद्देश्य से देश भर में प्लास्टिक उद्योग के विकास के लिए छह प्रौद्योगिकी सम्मेलनों का आयोजन कर रहा है। इन सम्मेलनों को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार, रसायन और पेट्रोकेमिकल्स विभाग, भारत सरकार, वाणिज्य विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार का समर्थन प्राप्त है। इन सम्मेलनों का मुख्य उद्देश्य उद्योग को आयात प्रतिस्थापन में मदद करना है जिससे उन्हें “मेक इन इंडिया – मेक फॉर द वर्ल्ड” प्लास्टिक उत्पादों के निर्माण में मदद मिले।
उद्घाटन समारोह के एक भाग के रूप में, मुख्य अतिथि ने ‘आयातित प्लास्टिक उत्पादों के प्रदर्शन बूथ’ का भी उद्घाटन किया।
एआईपीएमए के अध्यक्ष श्री मयूर डी शाह ने गणमान्य व्यक्तियों, वक्ताओं और उपस्थित लोगों का स्वागत किया और भारत में प्लास्टिक उद्योग के विकास को सुनिश्चित करने के लिए एआईपीएमए द्वारा की गई विभिन्न गतिविधियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सालाना 3.5 लाख करोड़ रुपए के सामान का निर्माण करके प्लास्टिक उद्योग भारत की अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख योगदानकर्ता है। श्री अरविंद मेहता,अध्यक्ष, गवर्निंग काउंसिल, एआईपीएमए और अध्यक्ष, एआईपीएमए के एएमटीईसी ने प्रतिभागियों को एएमटीईसी के विजन,मिशन और उद्देश्य के बारे में बताया।
सम्मेलन के दौरान, सत्रों को विभिन्न दिलचस्प विषयों में विभाजित किया गया था जैसे कच्चे माल में नवाचार और आयात प्रतिस्थापन के लिए आपूर्ति श्रृंखला की आवश्यकता,आयात प्रतिस्थापन के लिए नवीन प्लास्टिक प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों की आवश्यकता, टूलिंग की आवश्यकता, आयात प्रतिस्थापन के लिए डाई और जिग्स फिक्स्चर,आत्मनिर्भर बनने का रोडमैप प्लास्टिक के सामान में (गुणवत्ता,लागत, वितरण और नवाचार)एआईपीएमए द्वारा की गई पहल की सरकार और उद्योग जगत ने काफी सराहना की। आगामी महीनों में इसी तरह के सम्मेलन मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद और बैंगलोर में आयोजित किए जाएंगे।
माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आयात पर निर्भरता को कम करने और आत्मनिर्भर बनने के जनादेश के अनुसार, अखिल भारतीय प्लास्टिक निर्माता संघ ने देश में प्लास्टिक के सामानों के आयात पर एक विस्तृत अध्ययन किया है। अध्ययन के अनुसार, प्लास्टिक के सामान का 2022-23 में 37,500 करोड़ रुपये का आयात किया गया था। इसमें से 48% चीन से था।
विस्तृत विश्लेषण के बाद एआईपीएमए ने आयात प्रतिस्थापन के लिए 550प्लास्टिक का चयन किया है। यह अनुमान है कि प्लास्टिक के सामान का आयात प्रतिस्थापन 37,500करोड़ रुपये प्रति वर्ष होगा जिससे लगभग 4मिलियन टन कच्चे माल और 16,000+ प्लास्टिक प्रसंस्करण मशीनों की अतिरिक्त आवश्यकता पैदा होगी। जिसमें उपकरण, मोल्ड्स, जिग्स और फिक्स्चर शामिल हैं। इससे देश में 5लाख अतिरिक्त रोजगार भी सृजित होंगे।