नई दिल्ली, 21 नवम्बर , 2023 : 20 नवम्बर , 2023 ने आदरणीय श्री अशोक जी सिंघल की पुण्य स्मृति में ‘भारतात्मा वेद पुरस्कार’ प्रदान किया गया। गुजरात के माननीय राज्यपाल आचार्य देवव्रतजी इस अवसर पर वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम में उपस्थित रहें।
गुजरात के माननीय राज्यपाल आचार्य देवव्रतजी ने अपने वीडियो संदेश में कहा, “आज हम अपने वेदों को भूलते जा रहे हैं। वेदों में ज्ञान का भंडार है। अपने आदर्श जीवन को सार्थक बनाने के लिए अपने आप को पहचानना जरुरी है। अमूल्य जीवन को पहचानने के लिए हमे दूसरों के बारे में भी जानना जरूरी है। कई विदेशी दार्शनिको, विद्वानों और चिंतकों ने भी हमारे वेद पुराणों को महान बताया है।”
उन्होंने आदरणीय स्व अशोक सिंघल जी का जीवन वेधांतिक, पुरातन और आज के युग में उनकी भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने अशोक सिंघल फाउंडेशन के द्वारा इस परंपरा को निरंतर बड़ावा देने की सरहना करते हुए कहा कि एक सभ्य समाज की कल्याणकारी शिक्षा नीतियां लगातार जन जन तक पहुंचे ऐसा प्रयास सभी को करना चाहिए।
भारतात्मा पुरस्कार वितरण समारोह श्री सत्य साईं सभागार, लोधी रोड, प्रगति विहार, नई दिल्ली, दिल्ली 110003 में सायं 5:00 बजे प्रारंभ हुआ। यह पुरस्कार वितरण समारोह परम पूज्य स्वामी श्री गोविन्ददेव गिरिजी महाराज के पावन सान्निध्य में आयोजित हुआ। भारतात्मा पुरस्कार की यह सातवीं शृंखला है। उत्तम वेदविद्यालय की श्रेणी में श्री शंकर मठ, श्री कांची कामकोठी पीठम, थिरुविडइमरुदूर, उत्कृष्ट वेदविद्यार्थी श्रेणी में वेदमूर्ति पद्मनाभ विवेक जोशी तथा आदर्श वेदाध्यापक शेणी में वेदाध्यापक वेदमूर्ति श्री विष्णुभट्टला नागशंकर वेंकट लक्ष्मी नारायण घनपठी को पुरस्कृत किया गया।
तमिल नाडु के तंजौर ज़िले के कुम्भकोणम् क्षेत्र के निवासी ब्रह्मश्री सुब्रह्मण्य श्रोतिगल को वेदार्पित जीवन सम्मान प्रदान किया गया। इस सम्मान के अन्तर्गत 5 लाख रुपये तथा प्रमाणपत्र प्रदान किया गया।
वर्ष 2023 के उत्तम वेदविद्यालय की श्रेणी में सम्मानित श्री शंकर मठ, श्री कांची कामकोठी पीठम, थिरुविडइमरुदूर की तरफ़ से एस॰ रवि शर्माजी ने इस पुरस्कार को ग्रहण किया। इस उपलब्धि पर उन्होंने कहा, “ये सौभाग्य है यह सम्मान श्री शंकर मठ को प्राप्त हुआ है और मैं इसे प्राप्त कर रहा हूँ। भारत में वेदों का पुनर्जागरण भारत माता के सतत स्वाभिमान, ज्ञान और ख्याति को बनाए रखने में योगदान प्रदान करेगा। ज्यादा से ज्यादा युवाओं को वैदिक ज्ञान को जानना चाहिए। ये हमें सांस्कृतिक विषयों के प्रति गहरी रुचि को बढ़ावा देगा।”
उत्कृष्ट वेद विद्यार्थी 2023 वेदमूर्ति पद्मनाभ विवेक जोशी ने कहा, “हमें पश्चिमीकरण को अपनाए बिना आधुनिकीकरण को अपनाना होगा। भारत में वेदों का पुनर्जागरण हमारे स्वाभिमान, गौरव और पहचान को अक्षुण्ण रखने में योगदान देगा। हमारें युवाओं को वेद विद्वान बनना होगा। वेद न केवल कर्मकांड के लिए है, बल्कि, हमें सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए अत्यन्त आवश्यक अंग हैं।”
आदर्श वेदाध्यापक 2023 वेदमूर्ति श्री विष्णुभट्टला नागशंकर वेंकट लक्ष्मी नारायण घनपठि ने कहा, “वेद अखिल विश्व के सबसे प्राचीन ग्रंथ हैं और ये ग्रंथ मानव जाति की हर समस्याओं का समाधान प्रदान करते हैं, साथ ही लोगों के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। भारत की प्रतिष्ठा एवं सनातन ज्ञान परंपरा की धारा को प्रवाहित करने में वेद सहायक सिद्ध होगें। देश के प्रत्येक नागरिक को भारतीय ज्ञान परंपरा की पद्धतियों को आत्मसात करना चाहिये।”
श्री मुरली मनोहर जोशी ने अपने संबोधन में कहा, वेदों के बिना हम भारत के निर्माण की परिकल्पना नहीं कर सकते। आज सम्पूर्ण भारत में वेदों का प्रचार एवं प्रसार हो रहा है। विदेशों से लोग हमारी संस्कृति की ओर खिंचे चले आ रहे हैं। इन सब के केंद्र में हमारे ऋषियों और महान चिंतकों द्वारा उल्लेखित वे सार हैं जो विश्व कल्याण के लिए आवश्यक है।”
भारतात्मा अशोकजी सिंघल वेद पुरस्कार : भारतात्मा अशोकजी सिंघल वेद पुरस्कार विश्व हिन्दु परिषद के संस्थापक सदस्य भारतात्मा श्री अशोकजी सिंघल की पुण्य स्मृति में प्रति वर्ष प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार का प्रमुख उद्देश्य वैदिक शिक्षा में सर्वश्रेष्ठ वैदिकों को पहचानना करना तथा स्व॰ श्री अशोकजी सिंघल की पावन स्मृति को चिरस्थायी बनाए रखना है।
वैदिक क्षेत्र में प्रति वर्ष प्रदान किया जाने वाला यह सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार है। यह पुरस्कार प्रति वर्ष उत्कृष्ट वेदविद्यार्थी, आदर्श वेदाध्यापक तथा उत्तम वेदविद्यालय की तीन श्रेणियों में प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार के अन्तर्गत उत्कृष्ट वेदविद्यार्थी को एक पदक, तीन लाख रु॰, प्रमाणपत्र, आदर्श वेदाध्यापक को एक पदक, पाँच लाख रु॰, प्रमाणपत्र तथा उत्तम वेदविद्यालय को एक स्मृति चिह्न, सात लाख रु॰ और एक प्रमाणपत्र प्रदान किया जाता है।
सिंघल फाउंडेशन के ट्रस्टी संजय सिंघल ने बताया कि वर्ष 2023 के लिए फाउंडेशन ने एक ऐसे विद्वान का चयन किया है, जिन्होंने अपना पूरा जीवन वेदों के अध्ययन और अध्यापन के लिए समर्पित कर दिया है। इस व्यक्ति ने श्रुति परंपरा के माध्यम से वैदिक ज्ञान के संरक्षण और प्रचार में अमूल्य योगदान दिया है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने एक व्यापक शिष्य-उत्तराधिकारी वंश की स्थापना की है।
सिंघल फाउंडेशन के ट्रस्टी श्री सलिल सिंघलजी के अनुसार, अस्तित्व में सबसे पुराना साहित्य, वेद, मानवता की सभी समस्याओं का समाधान प्रदान करता है और आत्म-प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। यह तथ्य कि ये भारतात्मा वेद पुरस्कार प्रसिद्ध संत श्री गोविंददेव गिरिजी के सामने दिए गए, हमें बहुत खुशी देता है।