शिरोमणि अकाली दल ने दिल्ली कमेटी को बर्बाद करने के लिए सिरसा व कालका को क्यों ठहराया जिम्मेवार/अकाल तख्त साहिब से हस्तक्षेप करने की,की मांग

नई दिल्ली, 28 फरवरी: शिरोमणि अकाली दल दिल्ली इकाई के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने कहा है कि 50 वर्ष पुरानी दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को बर्बाद करने के लिए भाजपा के पूर्व विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा व दिल्ली कमेटी के मौजूदा अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका पूरी तरह से जिम्मेवार हैं जिसके चलते गुरु हरिकृष्ण पब्लिक स्कूलों के स्टाफ के वेतन से संबंधित मुद्दे हल नहीं हो सके और सिख कौम की विरासत को जब्त करने तक की नौबत आ गई है।

आज यहां एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए सरना ने बताया कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा कड़े शब्दों में दिए गए फैसले में कालका के नेतृत्व वाले मौजूदा प्रबंधन को कसूरवार ठहराया है तथा वेतन के मुद्दे पर पीठ को गुमराह करने के लिए दिल्ली कमेटी के अध्यक्ष और महासचिव पर सवाल उठाए हैं। महत्वपूर्ण वित्तीय अनियमितताओं के बढ़ते संदेह के चलते अदालत ने दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी से संबधित सभी स्कूलों का फोरेंसिक ऑडिट भी अनिवार्य कर दिया है।

माननीय उच्च न्यायालय ने सख्त शब्दों में कालका व काहलों के कुप्रबंधन की कड़ी आलोचना की है। पूर्व भाजपा विधायक सिरसा के चेले कालका ने अपने आका के नक्शेकदम पर चलते हुए अदालती कार्यवाही के दौरान लगातार गुमराह किया है इसलिए अदालत ने कालका सहित दिल्ली कमेटी के महासचिव दोनों को दोषी पाया है। सरना ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह बेहद दुखद है कि सिरसा और कालका के कारण दिल्ली कमेटी जैसा संस्थान पतन की कगार पर है जिसके परिणामस्वरूप सभी आंतरिक स्कूल समितियों को बर्खास्त कर दिया गया है।
सरना ने वित्तीय हेराफेरी और गबन के लिए कालका सहित अन्य पदाधिकारियों के तत्काल इस्तीफे की मांग की और कहा कि लोकसभा टिकट की लालसा से प्रेरित सिरसा को शर्म आनी चाहिए जो दिल्ली कमेटी जैसे संस्थान को नष्ट करने पर तुले हुए हैं।

सरदार सरना ने श्री अकाल तख्त साहिब से अपील करते हुए कहा कि दिल्ली कमेटी को बर्बाद करने के लिए सिरसा व कालका को तलब किया जाए साथ ही इन व्यक्तियों और उनके समर्थकों को किसी भी सिख धार्मिक चुनाव या चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने पर स्थायी रूप से प्रतिबंधित किया जाए।
इस मौके पर उनके साथ स. हरविंदर सिंह सरना, स. मंजीत सिंह जीके, स. सतनाम सिंह खीवा, स. सुखविंदर सिंह बब्बर, रविंदर सिंह खुराना, स. सुरिंदर सिंह दारा, स. परमिंदर सिंह एमएन, एडवोकेट मंजीत सिंह चुघ, स. वरिंदरपाल सिंह, स. प्रतिपाल सिंह खेड़ा, श्री. भूपिंदर सिंह सहित अन्य अकाली कार्यकर्ता मौजूद थे।

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